प्रमुख व्यक्ती श्री सहीराम धारणिया,
अध्यक्ष अ.भा.वि. महासभा, महासचिव्, श्री शंकरलाल पवार, श्री भागीरथाय विशनोई सेवा
निवॄत्त डी. जी.पुलिस श्री मनिराम गोदारा भु.मुख्य अतिथी श्री पुनमचन्द विशनोई ने
बताया कि श्री जम्भेश्वेर भगवान ने आज से पाच सो वष पूव यह धम चलाया था । हमारा
धर्म अन्दोलन राजस्थान मे था । उस समय यहा भयंकर अकाल था।
उस समय यहां भयंकर अकाल था। गुरु जी ने लोगों कि मन से एवं धन से सहयता कि । उनके बाद वील्होजी ने पंथ को नेतुत्व प्रदान किया।
यह बडे आच्शर्य की बात है कि बाद यह विल्होजि के धर्म बिना किसी नेतुत्व के चलता रहा है। आज विश्व के लोगों मे यह जिज्ञासा पैदा हुई है कि वे विशनोई धर्म एवं समाज के विषय मै अधिक से अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करें। क्योकि जो रास्ता श्री ज्म्भेश्व्रर भगवान ने बताया था वह बडा वैज्ञानिक कल्याणकारी एवं मानव समाज की निती के अनुरुप हैं गुरुजिने व्रुक्ष को जीवनधारि माना है, हमें इसे नश्ट नही करना है।
उन्होने हमे व्रुक्ष उओर वन्य प्रणियोसे प्रेम करने की प्रेरणा दी । उन्होने विश्व कुटुम्बकम का सन्देश दिया । विशनोईयों ने व्रुक्षओ के लिये अपने सिर कटाये आत्म बलिदान दिया यहा तक कि ३६३ विशनोई स्त्रि पुरुश खेजड्ली गाव मे व्रुक्षओ की रक्षार्थ शहिद हो गये ऐसा अन्यत्र नहि हुआ है। परन्तु गुरुजी ने ऐसी भावना लोगो ने भरी, उन्हे कटोरता से अपने नियमो को पालन करने एव उन पर द्रुढ रहने को कहा । विशनोई सफेद कपडे पहनते है, इसलिये उनकी अलग पहचान है ।
आज तक देश कि अन्दर जितने धर्मगुरु या नेता हुए है, इसलिए उनकी के विरुध आवाज उटाइ है। आज तक देश के अन्दर जितने धर्म गुरु, राजगुरु या नेता हुए है, उन्होने हमेशा अन्याय एव भोले-भाले लोगो को मुक्ति का मार्ग बताया। आज रुस और अमेरिका शस्त्र-नियंत्रण की बाते कर रहे है,परंतु गुरुजि ने किसी अस्त्र-श्स्त्र के समाज को रसता दिखाया।
अ.भा.वि. महासभा के अध्यक्ष श्री सहीराम धारनिया ने मुख्यमंत्रि महोदय को एक शाल एवं विशनोई साहित्य भेट किया। श्री दर्शनसिंह ने एक अभिनंदन -पत्र एव मांग पत्र भेट किया,जिसमें मुख्य मांगे थी-
१. मुक्तिधाम मुकाम को आदर्श गाव घोशित करना।
२. खेजडली शहीदी मेले पर राजकिय अवकाश घोशित करना।
३. श्री जम्भेश्वर भगवान की जीवनी को घोशित करना।
४. विशनोई मेलों को राज्य सरकार द्वरा मन्यता प्राप्त करना।
५. विशनोई समाज के मुख्य तिर्थ -स्थलों को पक्कि सडको से जोडना।
श्री भागीरथि विशनोई सेवा निव्रुत्त डी.जी.पुलिस ने कुछ छोटि समसस्यो का उल्लेख किया, जिनका जिक्र मांग पत्र मे नहि था। वे मांगे है-
१. समरथल की डबल करना
२. पिपासर की शेष सडक एक की.मी. को पुरि करना।
३. बिकानेर के पब्लिक पार्क के गेट मेले के अवसर पर हमेशा खुले
रखना ताकि उस अवसर पर लोग विशनोई धर्मशाला के पास चढ सकें ।
४. डेअरि विभाग से दोनो मेलो पर दुध की स्थाई व्यवस्था कर दि जावे
५. विधान सभा के चुनाव क्षत्र-नोखा एव रयसिंनगर जो की विशनोई बाहुल्य क्षएत्र है, चुनाव आरक्षण समाप्त किये जावे।
६. गाव डाबला (श्री.गंगानगर) की १० बिघा जमीन्,जो बिश्नोइ मंदीर कि है, उसे विशनोई
को दलवाई जावे। जाम्भा तालाब , जो विशनोई को दलवाई जावे ।
७. जाम्भा तालाब , जो विशनोई का पवित्र तीर्थ-स्थल है, खाली पडा है उसे इन्दिरा गांधी नेहरु से जोडा जावे।
सम्मेलन के अध्यक्ष पद से बोलते हुये श्री. रामसिह विशनोई डेअरि एव पशुपालन राज्यमंत्रि, राजश्तान ने कहा-हम किसान है चाहे अनपढ है, जो हमरि जिंदगी की आधार स्थंब है। हमे वन के प्रहरी के रुप में अनेक यातनाए सहन करनि पढती है गोलींया खानि पड्ती है।
क्योंकी वन्-रक्षा हमारा आदर्श है पवित्र समभते है, क्योकि हमारे उनतिस धर्म नियम है जो हमारे जिंदगी के आधार स्तंभ है।
हमें वन के प्रहरि रुप मे अनेक यातनाए सहन करनी पड्ती है गोलींया खानी पडति है _क्योकि वन-रक्षा हमारा आदर्श है। वन रकक्षार्ह्त ३६३ विशनोईयो ने बलिदान दिया। इसमे स्त्रियो का भि पुरा सहयोग था । हम किसिसे भि कम नहि है। परंन्तु हम अपनि मांगे प्रेम से मनवाना चाहते है, विशनोई धर्म के उनतीस नियमो का बडा मह्त्व है।
आपने मुख्य मन्त्रि महोदय को बताया कि यदि आप भी इन उनतीस नियमो को समझ जाओ, तो आप भी विशनोई बन जावो। आज यहा लोग इकट्टॅ हुए है, वे सभी किसान है ओर इस समय अकाल से पिडीत है। हम आपसे इनके लिए अन्न-पाणी ओर इनके पशुओं के लिये चारे कि व्यव्स्था करने कि अपेक्षा करते है।
मुख्य अतिथि माननिय हरिदेव जोशी मुख्यमंत्रि राजस्थान ने इस शुभ अवसर पर श्री भजनलाल मुख्यमंत्रि हरियाणा की उपस्थिति को अनुभव किया। आपने बताया की आज पाच सो वर्ष पुर्व एक
महान आत्मा ने जिने की परिपटी बताइ । श्री जाम्भोजि महाराज के २९ सिद्धान्त आज भी इनके ही जिवंत है।यह उनकी दुरद्रुश्टि थि। उनके जिवन का आदर्श हमारे जिवन में तथा प्रत्येक मानव मन में उतरे ,यही मानव का सार है। मुख्यमंत्रि महोदय ने श्री भागीरथ राय विशनोई एव श्री रामसिंह विशनोई कि बतों का उत्तर बडे मधुर ढंग से दिया।
आपने फरमाया की विशनोईयो कि विरता सचाई एव शुद्दधता के बारे मे मुझे कोइ शक नहि है। वे किसी से भि कमजोर नही है। आज युग पलट रहा है। हमें नए भारत का निर्माण करना है।
आज जमाना उन लोगों का है, जो मेहनत करते है। एसे लोग हि समाग को नया रुप देते है। पहले भारत को भिखमंगो एव जादुगरो के देश के नाम से जाना जाता था। अब वह बात नहि है आज हमारे देश मे इतना गेहूँ पैदा होता है कि हम विदेशो को भेज सकते है। अन्त आपने भयंकर अकाल कि चर्चा करते हुये चिंता प्रकत की कि आदमी का जाया तो किसी प्रकार अपना पेट भर लेना, लेकिन ये निरीह पशु अपना पेट कैसे भरेंगे।
अन्त मे महासचिव श्री शंकरलाल पवार ने मुख्यमंत्रि महोदय का यहां पधारने के लिये धन्यवाद किया। इस खुले अधिवेशन का संचालन डा.बनवारीलाल सहु ने किया। मुख्यमंत्रि महोदय के जाने के बाद यह अधिवेशन ३.३० बजे तक के लिये स्थगित हो गया ।
सम्मेलन के अन्तमे श्री दर्शनसिंह एड्वोकेट ने सभी अथितियों एव मेला यत्रियो को धन्यवाद दिया। उन्होने अपना पाच सुत्री कार्यक्रम रखा ऑर इसको विशनोई समाज में लागु करनें एव लोगो से पालन करने की अपेक्षा की। वे पाच सुत्र है ---- :
१. निजमंदीर मुकाम एव विशनोई के अन्य सभी तीथ -स्थलो का जीर्नोद्वार एव नवनिर्माण करना :
२. विशनोई समाज मे व्यसनग्र्स्त लोगो से व्यसन छुडाना :
३. विशनोई समाज के नयुवक एव नवयुतियों को समाज सेवा के लिये प्रोत्साहित करना;
४. श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान के नाम पर संस्था बनाना :
५. अखिल भारतीय विशनोई महासभा का पुनर्गठन करना एव इसका कार्यक्षत्र भारतीय स्तर तक बठाया।
पंचशती समारोह
उस समय यहां भयंकर अकाल था। गुरु जी ने लोगों कि मन से एवं धन से सहयता कि । उनके बाद वील्होजी ने पंथ को नेतुत्व प्रदान किया।
यह बडे आच्शर्य की बात है कि बाद यह विल्होजि के धर्म बिना किसी नेतुत्व के चलता रहा है। आज विश्व के लोगों मे यह जिज्ञासा पैदा हुई है कि वे विशनोई धर्म एवं समाज के विषय मै अधिक से अधिक से अधिक जानकारी प्राप्त करें। क्योकि जो रास्ता श्री ज्म्भेश्व्रर भगवान ने बताया था वह बडा वैज्ञानिक कल्याणकारी एवं मानव समाज की निती के अनुरुप हैं गुरुजिने व्रुक्ष को जीवनधारि माना है, हमें इसे नश्ट नही करना है।
उन्होने हमे व्रुक्ष उओर वन्य प्रणियोसे प्रेम करने की प्रेरणा दी । उन्होने विश्व कुटुम्बकम का सन्देश दिया । विशनोईयों ने व्रुक्षओ के लिये अपने सिर कटाये आत्म बलिदान दिया यहा तक कि ३६३ विशनोई स्त्रि पुरुश खेजड्ली गाव मे व्रुक्षओ की रक्षार्थ शहिद हो गये ऐसा अन्यत्र नहि हुआ है। परन्तु गुरुजी ने ऐसी भावना लोगो ने भरी, उन्हे कटोरता से अपने नियमो को पालन करने एव उन पर द्रुढ रहने को कहा । विशनोई सफेद कपडे पहनते है, इसलिये उनकी अलग पहचान है ।
आज तक देश कि अन्दर जितने धर्मगुरु या नेता हुए है, इसलिए उनकी के विरुध आवाज उटाइ है। आज तक देश के अन्दर जितने धर्म गुरु, राजगुरु या नेता हुए है, उन्होने हमेशा अन्याय एव भोले-भाले लोगो को मुक्ति का मार्ग बताया। आज रुस और अमेरिका शस्त्र-नियंत्रण की बाते कर रहे है,परंतु गुरुजि ने किसी अस्त्र-श्स्त्र के समाज को रसता दिखाया।
अ.भा.वि. महासभा के अध्यक्ष श्री सहीराम धारनिया ने मुख्यमंत्रि महोदय को एक शाल एवं विशनोई साहित्य भेट किया। श्री दर्शनसिंह ने एक अभिनंदन -पत्र एव मांग पत्र भेट किया,जिसमें मुख्य मांगे थी-
१. मुक्तिधाम मुकाम को आदर्श गाव घोशित करना।
२. खेजडली शहीदी मेले पर राजकिय अवकाश घोशित करना।
३. श्री जम्भेश्वर भगवान की जीवनी को घोशित करना।
४. विशनोई मेलों को राज्य सरकार द्वरा मन्यता प्राप्त करना।
५. विशनोई समाज के मुख्य तिर्थ -स्थलों को पक्कि सडको से जोडना।
श्री भागीरथि विशनोई सेवा निव्रुत्त डी.जी.पुलिस ने कुछ छोटि समसस्यो का उल्लेख किया, जिनका जिक्र मांग पत्र मे नहि था। वे मांगे है-
१. समरथल की डबल करना
२. पिपासर की शेष सडक एक की.मी. को पुरि करना।
३. बिकानेर के पब्लिक पार्क के गेट मेले के अवसर पर हमेशा खुले
रखना ताकि उस अवसर पर लोग विशनोई धर्मशाला के पास चढ सकें ।
४. डेअरि विभाग से दोनो मेलो पर दुध की स्थाई व्यवस्था कर दि जावे
५. विधान सभा के चुनाव क्षत्र-नोखा एव रयसिंनगर जो की विशनोई बाहुल्य क्षएत्र है, चुनाव आरक्षण समाप्त किये जावे।
६. गाव डाबला (श्री.गंगानगर) की १० बिघा जमीन्,जो बिश्नोइ मंदीर कि है, उसे विशनोई
को दलवाई जावे। जाम्भा तालाब , जो विशनोई को दलवाई जावे ।
७. जाम्भा तालाब , जो विशनोई का पवित्र तीर्थ-स्थल है, खाली पडा है उसे इन्दिरा गांधी नेहरु से जोडा जावे।
सम्मेलन के अध्यक्ष पद से बोलते हुये श्री. रामसिह विशनोई डेअरि एव पशुपालन राज्यमंत्रि, राजश्तान ने कहा-हम किसान है चाहे अनपढ है, जो हमरि जिंदगी की आधार स्थंब है। हमे वन के प्रहरी के रुप में अनेक यातनाए सहन करनि पढती है गोलींया खानि पड्ती है।
क्योंकी वन्-रक्षा हमारा आदर्श है पवित्र समभते है, क्योकि हमारे उनतिस धर्म नियम है जो हमारे जिंदगी के आधार स्तंभ है।
हमें वन के प्रहरि रुप मे अनेक यातनाए सहन करनी पड्ती है गोलींया खानी पडति है _क्योकि वन-रक्षा हमारा आदर्श है। वन रकक्षार्ह्त ३६३ विशनोईयो ने बलिदान दिया। इसमे स्त्रियो का भि पुरा सहयोग था । हम किसिसे भि कम नहि है। परंन्तु हम अपनि मांगे प्रेम से मनवाना चाहते है, विशनोई धर्म के उनतीस नियमो का बडा मह्त्व है।
आपने मुख्य मन्त्रि महोदय को बताया कि यदि आप भी इन उनतीस नियमो को समझ जाओ, तो आप भी विशनोई बन जावो। आज यहा लोग इकट्टॅ हुए है, वे सभी किसान है ओर इस समय अकाल से पिडीत है। हम आपसे इनके लिए अन्न-पाणी ओर इनके पशुओं के लिये चारे कि व्यव्स्था करने कि अपेक्षा करते है।
मुख्य अतिथि माननिय हरिदेव जोशी मुख्यमंत्रि राजस्थान ने इस शुभ अवसर पर श्री भजनलाल मुख्यमंत्रि हरियाणा की उपस्थिति को अनुभव किया। आपने बताया की आज पाच सो वर्ष पुर्व एक
महान आत्मा ने जिने की परिपटी बताइ । श्री जाम्भोजि महाराज के २९ सिद्धान्त आज भी इनके ही जिवंत है।यह उनकी दुरद्रुश्टि थि। उनके जिवन का आदर्श हमारे जिवन में तथा प्रत्येक मानव मन में उतरे ,यही मानव का सार है। मुख्यमंत्रि महोदय ने श्री भागीरथ राय विशनोई एव श्री रामसिंह विशनोई कि बतों का उत्तर बडे मधुर ढंग से दिया।
आपने फरमाया की विशनोईयो कि विरता सचाई एव शुद्दधता के बारे मे मुझे कोइ शक नहि है। वे किसी से भि कमजोर नही है। आज युग पलट रहा है। हमें नए भारत का निर्माण करना है।
आज जमाना उन लोगों का है, जो मेहनत करते है। एसे लोग हि समाग को नया रुप देते है। पहले भारत को भिखमंगो एव जादुगरो के देश के नाम से जाना जाता था। अब वह बात नहि है आज हमारे देश मे इतना गेहूँ पैदा होता है कि हम विदेशो को भेज सकते है। अन्त आपने भयंकर अकाल कि चर्चा करते हुये चिंता प्रकत की कि आदमी का जाया तो किसी प्रकार अपना पेट भर लेना, लेकिन ये निरीह पशु अपना पेट कैसे भरेंगे।
अन्त मे महासचिव श्री शंकरलाल पवार ने मुख्यमंत्रि महोदय का यहां पधारने के लिये धन्यवाद किया। इस खुले अधिवेशन का संचालन डा.बनवारीलाल सहु ने किया। मुख्यमंत्रि महोदय के जाने के बाद यह अधिवेशन ३.३० बजे तक के लिये स्थगित हो गया ।
सम्मेलन के अन्तमे श्री दर्शनसिंह एड्वोकेट ने सभी अथितियों एव मेला यत्रियो को धन्यवाद दिया। उन्होने अपना पाच सुत्री कार्यक्रम रखा ऑर इसको विशनोई समाज में लागु करनें एव लोगो से पालन करने की अपेक्षा की। वे पाच सुत्र है ---- :
१. निजमंदीर मुकाम एव विशनोई के अन्य सभी तीथ -स्थलो का जीर्नोद्वार एव नवनिर्माण करना :
२. विशनोई समाज मे व्यसनग्र्स्त लोगो से व्यसन छुडाना :
३. विशनोई समाज के नयुवक एव नवयुतियों को समाज सेवा के लिये प्रोत्साहित करना;
४. श्री गुरु जम्भेश्वर भगवान के नाम पर संस्था बनाना :
५. अखिल भारतीय विशनोई महासभा का पुनर्गठन करना एव इसका कार्यक्षत्र भारतीय स्तर तक बठाया।